24/09/2024
विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने आज दिनाँक 24 सितम्बर, 2024 को पूर्वाह्न 11:30 बजे नई दिल्ली स्थित संसद भवन में आयोजित दो दिवसीय भारत क्षेत्र राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि सतत व समावेशी विकास दोनों ही देश के विकास के लिए महत्वूपर्ण हैं। उन्होने कहा कि सतत एवं समावेशी विकास आज के समय में सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक प्राथमिकताओं में से एक हैं। सम्मेलन के दौरान पठानियां ने कहा कि सतत विकास का उद्देश्य पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक असंतुलनों को समाप्त कर एक दीर्घकालिक और संतुलित विकास को सुनिश्चित करना है जबकि समावेशी विकास विशेष रूप से समाज के सभी वर्गों के लिए अवसर प्रदान करने और सामाजिक समानता को बढ़ावा देने पर ध्यान केन्द्रित करना है।
पठानियां ने कहा कि सतत विकास के लिए समावेशी विकास एक जरूरी आधारशिला है। समावेशी विकास समाज के सभी वर्गों में आर्थिक लाभ को समान रूप से बाँटने का उद्देश्य रखता है जबकि सतत विकास वर्तमान की जरूरतों को पूरा करते हुए भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को भी ध्यान में रखना होगा
कुलदीप पठानियां ने कहा कि सतत विकास एक ऐसा विकास मॉडल है जो आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय पहलुओं को संतुलित करके समाज की दीर्घकालिक समृद्वि और खुशहाली को सुनिश्चित करने का प्रयास करता है, यह अवधारणा केवल आज की आवश्यकताओं को पूर्ण करने पर ध्यान ही नहीं देती अपितु आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकताओं की पूर्ति को भी ध्यान में रखता है जबकि समावेशी विकास भी एक ऐसा दृष्टिकोण है जो समाज के सभी वर्गों को समान अवसर प्रदान करता है और विकास के लाभों को व्यापक रूप में वितरित करता है। पठानियां ने कहा कि हमारे देश के सन्दर्भ में समावेशी विकास की अवधारणा कोई नई बात नहीं है। यदि हम प्राचीन ग्रन्थों का अवलोकन करें तो उनमें भी सब लोगों को साथ लेकर चलने की भावना निहित है।
“सर्वे भवन्तु सुखिन”, इस बात की पुष्टि की गई है। 90वे के दशक में उदारीकरण की निति के बाद विकास की यह अवधारणा नए रूप में उभरेगी क्योंकि उदारीकरण के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ जुड़ने का मौका मिला तथा यह धारणा देश एवं राज्यों की परिधि से बाहर निकलकर वैश्विक सन्दर्भ में अपनी महता बनाए रखने में सफल रही।
पठानियां ने कहा कि सतत एवं समावेशी विकास में विधायिका की भूमिका महत्वपूर्ण है इसके लिए हमें अपनी प्रतिबद्वता को कायम रखना होगा तथा लोभ – लालच का त्याग कर अपने उद्देश्य को हासिल करने हेतु एक निडर निष्पक्ष तथा कर्तव्य परायण जन प्रतिनिधि बनना होगा। पठानियां ने कहा कि निति निर्धारण में हमें निष्पक्ष होना पड़ेगा तथा समय – समय पर उसकी समीक्षा कर राष्ट्रहित में यदि जरूरी हो तो उसमें बदलाव भी करना होगा। पठानियां ने कहा कि हमें कानून एवं निति बनाने का अधिकार हमारा संविधान देता है लेकिन देखना यह है कि क्या हम उसकी परिपालना कर भी रहे हैं या मात्र दिखावा ही कर रहे हैं।पठानियां ने कहा कि सतत एवं समावेशी विकास के लिए केन्द्र से योजनाएं बननी चाहिए क्योंकि प्रदेश के संसाधनों पर भी संघ का अधिकार है। योजनाएं विकासन्मुखी होनी चाहिए तथा राज्यों को उनके अधिकारों के हिसाब से उनका लाभ मिलना चाहिए केन्द्र को हमेशा प्रदेश हित का सर्वोपरि रखना होगा ताकि सतत व समावेशी विकास सुनिश्चित किया जा सके। संघ की योजनाएं निष्पक्ष होनी चाहिए तथा राज्यों को अधिक से अधिक लाभ मिलना चाहिए। राज्यों को धन आबंटन उनकी जरूरतों तथा लक्ष्यों के हिसाब से होना चाहिए न कि राजनितिक आधार पर तभी हम सतत एवं समावेशी विकास सुनिश्चित करेंगे। विधायकों की भूमिका उसके क्रियान्वयन की है। यदि नीति निर्धारण निष्पक्ष होगा तथा आवंटन यथोचित व समुचित होगा तो विधायिका भी अपनी इच्छाशक्ति से अपने लक्ष्य की ओर साकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ सकेगी।
पठानियां ने कहा कि सदन के अन्दर सरकार के मंत्री कई प्रश्नों तथा चर्चाओं के बाद आश्वासन देते हैं लेकिन हमें इसकी भी समय – समय पर समीक्षा करनी होगी कि सदन में दिया गया आश्वासन फलीभूत हुआ है या नहीं। यह हमारी लोकतान्त्रिक प्रणाली की विश्वसनियता को कायम रखेगा तथा सदन की गरिमा तथा वर्चस्व की सर्वोच्चता बनी रहेगी
सम्मेलन के दौरान राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ भारत क्षेत्र के चेयरमैन ओम बिरला, उपाध्यक्ष राज्य सभा डॉ0 हरिवंश, राज्य विधान मण्डलों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष 25 राज्यों के पीठासीन व उप पीठासीन अधिकारी तथा कई केन्द्र शासित राज्यों के पीठासीन अधिकारी भी मौजूद थे।
(हरदयाल भारद्वाज),
संयुक्त-निदेशक,
लोक संपर्क एवं प्रोटोकॉल,
हि0प्र0 विधान सभा